इधर हालांकि बहुत समय नहीं दे सका फिर भी जितना भी समय मिल सका उसमें कुछ ऐसी रचनायें पढ़ने को मिलीं जो दिल को छू गयीं। ऐसी रचनाओं के लिंक आपकी सेवा में प्रस्तुत हैं-
रूप-अरूप: यादों के फूल.....: मुझे बेहद पसंद है् पलाश के फूल...जब भी देखती हूं.....बिना पत्ते के लाल-लाल.....दग्ध पलाश, मुझे लगता है इसके पीछे कोई ऐसी कहानी रही...
मेरी धरोहर: ये तो सोचो तुम्हारी बच्ची है..........अन्सार कम्बर...: थोड़ी झूठी है, थोड़ी सच्ची है हाँ ! मगर बात बहुत अच्छी है मैं तेरी उम्र बताऊँ कैसे थोड़ी पक्की है, थोड़ी कच्ची है तू है कैसी मैं...
Zindagi se muthbhed: अज़ीज़ जौनपुरी : मेरे चेहरे को अपना कहा कीजिए: मेरे चेहरे को अपना कहा कीजिए मेरी गजलों को थोड़ा पढ़ा कीजिए आईना देख शर्मा फिर हँसा कीजिए...
रूप-अरूप: जलते कपूर सा मेरा प्रेम....: दीप्त..प्रज्जवलित पान के पत्ते पर जलते कपूर सा मेरा प्रेम जो तिरना चाहता है अंतिम क्षण तक जलना चाहता है और तुम चंचल नदी की तरह मुझ...
"घर के दरमियाँ" | भूली-बिसरी यादें
रूप-अरूप: बता दो अपनी यादों को.....: कौन करेगा हद मुकर्रर मेरी चाहत और तुम्हारी बेख़्याली की कि चांद आकाश में आज भी है पूरा और मैं तुम बिन अधूरी पढ़ा है मैंने अनाधिकार प...
स्वप्न मेरे...........: झलक ...
रचनाकार: प्रमोद भार्गव का आलेख - आतंकवाद का साया क्या भारत में अनंत काल तक मंडराता रहेगा?
Vyom ke Paar...व्योम के पार: लघुकथा-१: कहानी कहना मुझे बहुत अच्छा तो नहीं आता,लेकिन प्रयास कर रही हूँ , एक ऐसी शृंखला शुरू करने की जिस में ऐसी बातें /घटनाएँ/किस्से जो पहले स...
तमाशा-ए-जिंदगी: मेरी मृगतृष्णा: मेरी मृगतृष्णा अनंत काल की जन्मो जन्मो से तरसती है मैं कौन हूँ क्या हूँ सब जानते हुए हर जन्म में नई मोह माया के उधड़े बुने जाल में...
उच्चारण: "गज़ल-भरोसा कर लिया मेंने" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्...: आज एक पुरानी डायरी मिली उसमें ये गज़ल मिल गई! आपके साथ साझा कर रहा हूँ बिना जाँचे-बिना परखे , भरोसा कर लिया मेंने खुशनुम...
बहुत ही सार्थक लिंकों का प्रदर्शन,आभार.
ReplyDeleteआपका आभार!
Deleteब्रिजेश भाई शुक्रिया मेरी रचना का चयन करने के लिए | आभार |
ReplyDeleteआपका स्वागत है!
Deleteमेरी रचना पसंद व शामिल करने के लिए आपका आभार
ReplyDeleteआपका स्वागत है!
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