Showing posts with label लोकोदय. Show all posts
Showing posts with label लोकोदय. Show all posts

Saturday, 14 May 2016

लोकोदय आलोचना श्रंखला

पूँजी और सत्ता का खेल अब हिन्दी साहित्य में जोरों पर है। साहित्य जगत पर बाज़ार का प्रभाव अब स्पष्ट नज़र आता है। मठों और पीठों के संचालक, बड़े अफसर, पूँजी के बल पर साहित्य को किटी पार्टी में बदलने के इच्छुकपैकेजिंग और मार्केटिंग में माहिर दोयम दर्ज़े के रचनाकार पूरे साहित्यिक परिदृश्य पर काबिज होने के प्रयास में लगातार लगे रहते हैं। ऐसे रचनाकारों द्वारा खुद की खातिर स्पेस क्रिएट करने के लिए चुपचाप साहित्य कर्म में संलग्न लोकधर्मी साहित्यकारों को लगातार नज़रअंदाज़ करने, उनको हाशिए पर धकेलने की कोशिश की जाती रही है
  
हिन्दी में बहुत से कवि हैं जिनके लेखन पर मुकम्मल चर्चा नहीं की गयी हैऐसे बहुत से कवि हैं जिन्होंने वैचारिक पक्षधरता को बनाए रखते हुए लोक की अवस्थितियों व संघर्षों का यथार्थ खाका खींचा तथा सत्ता और व्यवस्था के विरुद्ध प्रतिरोध की भंगिमा अख्तियार की लेकिन उनके रचनाकर्म पर समुचित चर्चा नहीं हो सकी लोकोदय प्रकाशन ने ऐसे कवियों पर आलोचनात्मक  श्रंखला प्रकाशित करने का निर्णय लिया है। इस श्रंखला का नाम होगा लोकोदय आलोचना श्रंखला इस श्रंखला के प्रथम कवि के रूप में  वरिष्ठ कवि तथा पत्रकार सुधीर सक्सेना के व्यक्तित्व, कृतित्व व काव्य रचना प्रक्रिया पर एक संपादित पुस्तक का प्रकाशन किया जाएगा किताब का संपादन किया जाएगा। इस पुस्तक का सम्पादन प्रद्युम्न कुमार सिंह और उमाशंकर सिंह परमार करेंगे

इस पुस्तक के लिए आलेख आमन्त्रित हैं। इच्छुक लेखक वर्ड फाइल के रूप में कृतिदेव या यूनिकोड फॉण्ट में अपने आलेख परिचय तथा नवीनतम फोटो के साथ इस ई-मेल पर ३० मई २०१६ तक भेज सकते हैं

आलेख भेजते समय यह उल्लेख अवश्य करें कि आलेख सुधीर सक्सेना पर केन्द्रित पुस्तक के लिए भेजा जा रहा है    

लोकोदय आलोचना श्रंखला

पूँजी और सत्ता का खेल अब हिन्दी साहित्य में जोरों पर है। साहित्य जगत पर बाज़ार का प्रभाव अब स्पष्ट नज़र आता है। मठों और पीठों के संचालक, बड़े अफसर, पूँजी के बल पर साहित्य को किटी पार्टी में बदलने के इच्छुकपैकेजिंग और मार्केटिंग में माहिर दोयम दर्ज़े के रचनाकार पूरे साहित्यिक परिदृश्य पर काबिज होने के प्रयास में लगातार लगे रहते हैं। ऐसे रचनाकारों द्वारा खुद की खातिर स्पेस क्रिएट करने के लिए चुपचाप साहित्य कर्म में संलग्न लोकधर्मी साहित्यकारों को लगातार नज़रअंदाज़ करने, उनको हाशिए पर धकेलने की कोशिश की जाती रही है
  
हिन्दी में बहुत से कवि हैं जिनके लेखन पर मुकम्मल चर्चा नहीं की गयी हैऐसे बहुत से कवि हैं जिन्होंने वैचारिक पक्षधरता को बनाए रखते हुए लोक की अवस्थितियों व संघर्षों का यथार्थ खाका खींचा तथा सत्ता और व्यवस्था के विरुद्ध प्रतिरोध की भंगिमा अख्तियार की लेकिन उनके रचनाकर्म पर समुचित चर्चा नहीं हो सकी लोकोदय प्रकाशन ने ऐसे कवियों पर आलोचनात्मक  श्रंखला प्रकाशित करने का निर्णय लिया है। इस श्रंखला का नाम होगा लोकोदय आलोचना श्रंखला इस श्रंखला के प्रथम कवि के रूप में  वरिष्ठ कवि तथा पत्रकार सुधीर सक्सेना के व्यक्तित्व, कृतित्व व काव्य रचना प्रक्रिया पर एक संपादित पुस्तक का प्रकाशन किया जाएगा किताब का संपादन किया जाएगा। इस पुस्तक का सम्पादन प्रद्युम्न कुमार सिंह और उमाशंकर सिंह परमार करेंगे

इस पुस्तक के लिए आलेख आमन्त्रित हैं। इच्छुक लेखक वर्ड फाइल के रूप में कृतिदेव या यूनिकोड फॉण्ट में अपने आलेख परिचय तथा नवीनतम फोटो के साथ इस ई-मेल पर ३० मई २०१६ तक भेज सकते हैं

आलेख भेजते समय यह उल्लेख अवश्य करें कि आलेख सुधीर सक्सेना पर केन्द्रित पुस्तक के लिए भेजा जा रहा है    

लोकोदय साहित्य श्रंखला

लोकधर्मी साहित्यिक परम्परा से समकाल को जोड़ना आज के समय की जरूरत है इसलिए लोकोदय प्रकाशन द्वारा 'लोकोदय साहित्य श्रृंखला' प्रारम्भ करने का निर्णय लिया गया है। इसके अन्तर्गत लोकधर्मी कविता, लोकगीत, लोककथा, लोककला इत्यादि पर आधारित संकलन प्रकाशित किए जाएँगे। इस श्रृंखला का प्रारम्भ लोकधर्मी कविताओं के साझा संकलन के रूप में किया जाएगा।
लोकधर्मी कविताओं के साझा संकलनों की इस श्रृंखला का नाम 'कविता आज' होगा। इसके हर खण्ड में दो भूमिकाओं के साथ 21 महत्वपूर्ण लोकधर्मी कवियों की पाँच-पाँच कविताएँ, उनके परिचय तथा आलोचकीय टीप के साथ सम्मिलित होंगी।
'कविता आज-1' में सम्मिलित किए जाने वाले कवियों के नामों पर विचार कर लिया गया है। इस संग्रह के लिए नये और पुरानों कवियों के योग का ध्यान रखा गया है । 'कविता आज-1' में सम्मिलित होने वाले कवि हैं-विजेन्द्र, सुधीर सक्सेना, अनिल जनविजय, नासिर अहमद सिकन्दर, कुअँर रवीन्द्र, नवनीत पांडेय, मणिमोहन मेहता, बुद्धिलाल पाल, शहंशाह आलम, सन्तोष चतुर्वेदी, भरत प्रसाद, महेश पुनेठा, बृजेश नीरज, प्रेमनन्दन,अरुण श्री, रश्मि भरद्वाज, भावना मिश्रा, पीके सिंह, नरेन्द्र कुमार, नारायण दास गुप्त और शम्भु यादव।

'कविता आज' का सम्पादन उमाशंकर परमार और अजीत प्रियदर्शी करेंगे।

लोकोदय साहित्य श्रंखला

लोकधर्मी साहित्यिक परम्परा से समकाल को जोड़ना आज के समय की जरूरत है इसलिए लोकोदय प्रकाशन द्वारा 'लोकोदय साहित्य श्रृंखला' प्रारम्भ करने का निर्णय लिया गया है। इसके अन्तर्गत लोकधर्मी कविता, लोकगीत, लोककथा, लोककला इत्यादि पर आधारित संकलन प्रकाशित किए जाएँगे। इस श्रृंखला का प्रारम्भ लोकधर्मी कविताओं के साझा संकलन के रूप में किया जाएगा।
लोकधर्मी कविताओं के साझा संकलनों की इस श्रृंखला का नाम 'कविता आज' होगा। इसके हर खण्ड में दो भूमिकाओं के साथ 21 महत्वपूर्ण लोकधर्मी कवियों की पाँच-पाँच कविताएँ, उनके परिचय तथा आलोचकीय टीप के साथ सम्मिलित होंगी।
'कविता आज-1' में सम्मिलित किए जाने वाले कवियों के नामों पर विचार कर लिया गया है। इस संग्रह के लिए नये और पुरानों कवियों के योग का ध्यान रखा गया है । 'कविता आज-1' में सम्मिलित होने वाले कवि हैं-विजेन्द्र, सुधीर सक्सेना, अनिल जनविजय, नासिर अहमद सिकन्दर, कुअँर रवीन्द्र, नवनीत पांडेय, मणिमोहन मेहता, बुद्धिलाल पाल, शहंशाह आलम, सन्तोष चतुर्वेदी, भरत प्रसाद, महेश पुनेठा, बृजेश नीरज, प्रेमनन्दन,अरुण श्री, रश्मि भरद्वाज, भावना मिश्रा, पीके सिंह, नरेन्द्र कुमार, नारायण दास गुप्त और शम्भु यादव।

'कविता आज' का सम्पादन उमाशंकर परमार और अजीत प्रियदर्शी करेंगे।

खुरदुरे यथार्थ को बयां करतीं कहानियाँ

     हमारे समाज में कहानी का इतिहास मानव सभ्यता के इतिहास जितना ही पुराना है। प्राचीन काल से ही कहानी - किस्से मानव समाज के किसी न किसी रूप ...