मुम्बई की दहशत
कई बार सुरक्षा व्यवस्था आतंकवादियों की काली करतूतों से परास्त सी हो जाती है जैसे26/11 की रात मुम्बई मे। 26 नवम्बर 2008 की रात दस आतंकी चर्मपंथियों ने शहर के ताज होटल, छत्रपति शिवाजी रेलवे स्टेशन तथा दो अन्य स्थाने को निशाना बनाया। इस हमले मे 166 निर्दोष जानें गईं थी और 250 से अधिक घायल हुए थे, जिनमे छः व्यक्ति विदेशी थे।सुरक्षाकर्मियों के साथ मुठभेड़ मे नौ तो मौके पर ही ढेर हो गए थे और एकमात्र मोहम्मद अजमल आमिर क़साब को पुलिस जीवित पकड़ने मे सफल हुई थी। तबसे कसाब मुम्बई की उच्च सुरक्षा वाली आर्थर रोड जेल मे कैद है।
क़साब की ज़बानी-
कसाब ने स्वयं स्वीकार किया कि वह पाकिस्तान के मुरीद के लश्कर कैम्प मे जकीउर रहमान से घातक ट्रेनिंग लेने के बाद मुम्बई आया था। उसने पुलिस को दिये बयान मे बताया-''मैने प्राइमरी स्कूल मे चौथी कक्षा तक पढ़ाई की...मैं2005 तक विभिन्न स्थानों पर नौकरी करने के पश्चात डकैतें के साथ रहा लेकिन काम नही चला। एक बार बक़रीद के दिन हमने रावलपिंडी मे लश्कर-ए-तैयबा की स्टाल पर आधुनिक हथियार देखे उसके बाद उन्हें चलाने के लिए संगठन मे शामिल हो गया...जहाँ मुझे 'दौरा सूफी' नाम की शुरुआती ट्रेनिंग मे नमाज, कुरान और हदीस पर लेक्चर और पीटी करमा सिखाया गया। फिर 'दौरा अमां' के लिये चयनित किया गया... जहाँ मनसेरा के बिट्ठल गाँव मे इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान ने एके-47, ग्रीन ओ, एकेएस, यूजी गन, पिस्टल और रिवाल्बर हथियारों की ट्रेनिंग दी।...क्लिपिंग के जरिये दिखाया गया कि हिन्दुस्तान मे मुसलमानों पर कैसे अत्याचार किये जा रहे हैं, भारतीय खूफिया एजेन्सियों राअॅ आदि के बारे मे बताया।...हम सभी दस लोगों को एक-एक बैग दिया गया जिसमे 8 ग्रेनेड, एकेराइफल, 200 कारतूस, दो मैगजीन तथा एक सेलफोन था। इसे लेकर भारतीय तट की ओर बढ़ने लगे। वहाँ हमने एक भारतीय बोट का अपहरण किया... टंडेल (नाविक) को कोट दिया और इसके शव को बेसमेंट मे डाल दिया। फिर बधवार पार्क जेट्टी मुम्बई पहुंचकर टैक्सी ली और इस्माइल के साथ वीटी स्टेशन पहुंचा, वहाँ एक बाथरूम मे हथियार लोड किये और बाहर आकर यात्रियों पर फायरिंग शुरु करदी...''
कसाब ने स्वयं स्वीकार किया कि वह पाकिस्तान के मुरीद के लश्कर कैम्प मे जकीउर रहमान से घातक ट्रेनिंग लेने के बाद मुम्बई आया था। उसने पुलिस को दिये बयान मे बताया-''मैने प्राइमरी स्कूल मे चौथी कक्षा तक पढ़ाई की...मैं2005 तक विभिन्न स्थानों पर नौकरी करने के पश्चात डकैतें के साथ रहा लेकिन काम नही चला। एक बार बक़रीद के दिन हमने रावलपिंडी मे लश्कर-ए-तैयबा की स्टाल पर आधुनिक हथियार देखे उसके बाद उन्हें चलाने के लिए संगठन मे शामिल हो गया...जहाँ मुझे 'दौरा सूफी' नाम की शुरुआती ट्रेनिंग मे नमाज, कुरान और हदीस पर लेक्चर और पीटी करमा सिखाया गया। फिर 'दौरा अमां' के लिये चयनित किया गया... जहाँ मनसेरा के बिट्ठल गाँव मे इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान ने एके-47, ग्रीन ओ, एकेएस, यूजी गन, पिस्टल और रिवाल्बर हथियारों की ट्रेनिंग दी।...क्लिपिंग के जरिये दिखाया गया कि हिन्दुस्तान मे मुसलमानों पर कैसे अत्याचार किये जा रहे हैं, भारतीय खूफिया एजेन्सियों राअॅ आदि के बारे मे बताया।...हम सभी दस लोगों को एक-एक बैग दिया गया जिसमे 8 ग्रेनेड, एकेराइफल, 200 कारतूस, दो मैगजीन तथा एक सेलफोन था। इसे लेकर भारतीय तट की ओर बढ़ने लगे। वहाँ हमने एक भारतीय बोट का अपहरण किया... टंडेल (नाविक) को कोट दिया और इसके शव को बेसमेंट मे डाल दिया। फिर बधवार पार्क जेट्टी मुम्बई पहुंचकर टैक्सी ली और इस्माइल के साथ वीटी स्टेशन पहुंचा, वहाँ एक बाथरूम मे हथियार लोड किये और बाहर आकर यात्रियों पर फायरिंग शुरु करदी...''
गुनाहों पर पर्दा डालने का प्रयत्न-
मुम्बई हमले का एकमात्र जीवित अभियुक्त अजमल कसाब खुद को कत्ली मानते हुए भी कानूनी जंग लड़ रहा है। नवं2008 से जेल मे बंद कसाब के खिलाफ जनवरी 2009 से अदालत मे सिनवाई शुरु हुई। इस मुकदमे के लिए एल.एम.तहलयानी को निशेष न्यायाधीश नियुक्त किया गया। मामले को गति तब मिली जब जुर्मी ने फरवरी 2009 मे मजिस्ट्रेट के सामने कत्ल-ए-आम स्वीकार कर लिया। परन्तु सजा से बचने के लिए उसने कभी खुदको नाबालिक बताया तो कभी अपने बयान से ही मुकर गया। अंजलि बाघमारे और फिर अब्बास आज़मी को उसका वकील नियुक्त किया गया। कार्यवाई के चलते विशेष न्यायाधीश तहलयानी ने उसे हत्या की साजिश, भारत के खिलाफ जंग छेड़ने, हत्याओं मे सहयोग देने, गैर कानूनी गतिविधियों को अंजाम देने आदि 86 अपराधों के आरोप मे उसे सजा-ए-मौत सुनाई।
अक्टूबर2011 उच्चतम् न्यायालय ने फाँसी की सजा पर फिलहाल रोक लगा दी क्योंकि कसाब ने शीर्ष न्यायालय मे अपील की थी- 'अभियोजन पक्श मेरे खिलाफ आरोप साबित करने मे नाकाम है और मेरी दलील पेश करने के लिए वकील नही दिया गया। मुझे दोषी करार दिया जाना गलत है।'
अतः सिप्रीम कोर्ट ने मुम्बई हाईकोर्ट के दो फैसलों पर विचार किया। पहला भारतीय नागरिक फहीम अंसारी और सबाहुद्दीन अंसारी को बरी करने का फैसला बरकरार रखा, इनपर कसाब और उसके साथियों की मदद करने का आरोप था। दूसरे फैसले-कसाब की फाँसी पर फिलहाल विधिक रोक लगा दी। अप्रैल2012 मे कसाब का वकील (सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त) राजू रामचन्द्रन् की अपील पर फैसला सुरक्षित रहा। अभियोजन पक्ष के वकील उज्जवल निगम ने अपना पक्ष रखते हुए कहा इतने मासूमों और बेगुनाहों के क्रूर कातिल को फाँसी की सजा दी ही जानी चाहिए।
एक बार फिर 29 अगस्त 2012 को सुबह10:30 बजे शीर्ष अदालत ने कसाब को उक्त आरोपों का दोषी ठहराते हुए कहा 'इस शख्स के लिए फाँसी देने के सिवा कोई सजा नही है।' जस्टिस अफताब आलम और चन्द्रमौलि कुमार की खण्डपीठ ने कसाब की अपील ठुकरा दी।
देश के उबलते रक्त को देख के तो लगता है कि कसाब की फाँसी तय है लेकिन जिन्दगी बचाने के लिए अभी उसके पास तीन विकल्प शेष है। पहला सर्वोच्चन्यायालय मे पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकता है, दूसरा है उपचार याचिका जिसके खारिज होने के बाद उसके पास एकमात्र उपास बचेगा महामहिम के समक्ष क्षमा यचना करना और जीवन-दान मांगना।
यदि कसाब ने ऐसा किया तो सजा पर प्रभाव से तत्काल रोक लग जाएगी अन्यथा आजादी के पश्चात फाँसी पर झूलने वाला 52वां व्यक्ति होगा। वैसे आमतौर पर भारत मे फाँसियों को आजीवन कारावास कर दिया जाता रहा है। एक प्रश्न और है यदि कसाब की सजा बरकरार रही तो उसे फाँसी पर लटकाएगा कौन क्योकि महाराष्ट्र के जल्लाद दादा मलिक अब गुजर चुके हैं और उनके बेटे महादेव मलिक (सफाईकर्मचारी) भी ऐसा करने से इनकार कर रहे हैं ।
सजा-ए-मौत का अंजाम-
दुनियां के 58 देशों मे मौत की सजा के लिए फाँसी दी जाती है जबकि सबसे अधिक 73 देशों मे सजा-ए-मौत के लिए गोली मारी जाती है। विश्व के 6 देश ऐसे हैं जहाँ मृत्युदण्ड पत्थर मारक और 5 देशों में इंजेक्शन देकर दिया जाता है। 3 देशों मे सिर काटकर और विश्वके 97 देशों मे मृत्युदण्ड का प्रावधान ही समाप्त कर दिया गया है।
अमेरिका ने मुम्बई हमले के साजिशकर्ता साज़िद मीर समेत लश्कर-ए-तैयबा के आठ कमांडरें पर प्रतिबन्ध लगाने की घोषणा की है। अमेरिका के इस फैसले का भारत ने स्वागत किया है। इस प्रतिबन्ध के तहत अमेरिकी नागरिक या कम्पनी इन आठ लोगों के साथ किसी भी प्रकार का व्यापार नही करेगे और इनकी जो भी सम्पत्ति अमेरिका मे है तो जब्त कर ली जाएगी। यूएस ट्रेजरी मे जिन लोगो के नाम शामिल किए गए वे सभी पाकिस्तानी हैं और पाक मे लश्कर-ए-तैयबा की गतिविधियां सम्भालते हैं। इससूची मे साजिद के अलावा लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर अब्दुल्ला मुजाहिद, याकूबशेख, आमिर हमज़ा, अब्दुल्ला मुतजीर और हाफिज सईद का बेटा तल्हा सईद शामिलहैं। अमेरिका ने घोषणा करते हुए कहा कि इससे पहले 2002 मे ही लश्कर-ए-तैयबा को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किए जाने के बाद भी पाक ने अपनी गतिविधियाँ बन्द नहीं की हैं। एक बार फिर पाक ने तेहरान मे आतंकवाद से निपटने मे सहयोग के लिए अश्वस्त किया है।
अब देखना है समय की गिरफ्त मे क्या है जो कसाब की जिन्दगी का फैसलै है।
-Vandana Tiwari
Sakhin, Hardoi