Monday 10 November 2014

डमरू घनाक्षरी

(१)
सहजसफललखमतअचरजकरउसजनपरकरवरदसरसलख 
डगमगडगमगहरपगहरक्षणतबलखनभपररखउसपरनख 
तनमनधनतजबसभगवनभजसररजधररससरससरसचख 
हटचलभकधतमतकररतरहजलजजलसमबनवहमनरख 
कृतिकार
- डॉ.आशुतोष वाजपेयी 

(२)

जल बरसतडमरू घनाक्षरी

पवन बहन लग, सर सर सर सर,
जल बरसत जस झरत सरस रस
लहर लहर नद , जलद गरज नभ,
तन मन गद गद ,उर छलकत रस
जल थल चर सब जग हलचल कर,
जल थल नभ चर ,मन मनमथ वश।
सजन लसत,धन , करत पर,
मन मन तरसत ,नयनन मद बस

- डा. श्यामगुप्त 

No comments:

Post a Comment

केदार के मुहल्ले में स्थित केदारसभगार में केदार सम्मान

हमारी पीढ़ी में सबसे अधिक लम्बी कविताएँ सुधीर सक्सेना ने लिखीं - स्वप्निल श्रीवास्तव  सुधीर सक्सेना का गद्य-पद्य उनके अनुभव की व्यापकता को व्...