Sunday 11 August 2013

अनुभूति मनोरम..

आदरणीय सुधीवृन्द सादर वन्दे! 
मित्रों सावन चल रहे हैं, ग्रामीण अंचल में जहाँ देखो हरियाली ही हरियाली... कहीं झूले पर गीत गाती किशोरियां तो कहीं हरी हरी चूड़ियां खनकाती वधुएं... मेंहदी की खुशबू से तो परिवेश ही महक रहा है। बहनें भाइयों के लिए हर दिन पूजा अर्चन कर उनकी कुशलता के विनय में तल्लीन हैं तो भाईयों के हृदय भी बहनों के लिए अगाध प्रेम छलका रहे हैं। तीर्थ स्थल की सड़कें, शिव जी के स्थान कांवरियों के श्रद्धा-रंगों से सराबोर है। वास्तव में कितना मनोरम है ये सब! इस परिवेश से आनन्दित होने के बाद एक प्रश्न अन्त:करण को कचोटता है कि कहीं शहरों की तरह गाँव से भी तो नहीं रम्यता छिन जाएगी?? यहाँ की भी आन्तरिक प्रफुल्लता कहीं औपचारिका में तो नहीं बदल जाएगी?? खैर.. जो भी समय आएगा हमें उसका पहलू तो बनना ही पड़ेगा! हमें विज्ञान-जनित साधनों में ही प्राकृतिक सौंदर्य की अनुभूति करनी ही पड़ेगी। 
अब चलते हैं आपके ही साहित्यिक सूत्रों पर जो साहित्य को मनोरम बना रहे हैं-

असल में हर त्योहार या उत्सव को मनाने के पीछे के पारंपरिक तथा सांस्कृतिक कारणों के अलावा एक और कारण होता है, मानवीय भावनाओं का। चूँकि प्रकृत... 


रामदरस मिश्र दिन डूबा अब घर जाएँगे कैसा आया समय कि साँझे होने लगे बंद दरवाजे देर हुई तो घर वाले भी हमें देखकर डर जाएँगे आँखें ... 


हक़ किसी का छीनकर , कैसे सुफल पाएँगे आप ? बीज जैसे बो रहे , वैसी फसल पाएँगे आप।   यूँ अगर जलते रहे , कालिख भरे मन के...

नदी है तो आती है बाढ़ कभी कुछ नहीं होता कभी डूब जाता है सब कुछ। सलामत रहे तुलसी खिलता रहे ऑफिस टाइम तो समझो चकाच... 



आज फिल्म 'दूसरा आदमी' का एक गाना 'क्या मौसम है' जिसे 'किशोर दा, लता दी और मोहम्मद रफ़ी साहब' ने गाया है सुन रहा ...



 Those slanted clouds grey and black images and lines are you back? They look so familiar floating by I try to decipher ...

इस पावन महीनें मे कई ऐसी दुखद घटनाओं से भी हमारा सरोकार हुआ, जिन्हें याद करना भी हृदयविदारक लगता है। शक्ति को भी चुनौती देने वाले लोग आज जब समाज का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं तो समाज की उन्नति की क्या आशा की जाए! हम शुभेच्छा रखते हैं कि आने वाला सप्ताह सुखद हो और शहीदों के परिवार को ईश्वर सांत्वना दे। 
अगले सप्ताह फिर मिलेगें आपके सृजन के साथ, तब तक आज्ञा दीजिए। नागपंचमी की ढेरों शुभकामनाओं के साथ नमस्कार! 
सादर!

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