Saturday 8 June 2013

शब्दों की पोटली

दोस्तों को मेरा नमस्कार!
आजकल वंदना जी अत्यन्त व्यस्त हैं तो उनके आदेश पर आज मैं अपनी पसंद के कुछ लिंक्स लेकर आपके समक्ष हाजिर हूं। देखें, आपको ये लिंक्स कैसे लगते हैं!


हार्दिक शुभकामनाओं सहित!
सपना-अरुण निगम (मदिरा सवैया) 
ब्याह हुये इकतीस सुहावन साल भये नहिं भान हुआ  
नित्य निरंतर जीवन में पल का पहिया गतिमान हुआ 
--------------------
----------------------------

-------------------------------
मुझे आज अपनी मुरलिया बना तो 
तू एक बार होठों से मुझको लगा तो 
संगीत को छेड़ दूँगी मैं दिलवर 
तू इक बार मुझको उठाकर बजा तो...
-----------------------
--------------------------------
शब्द नहीं हैं सुख वर्णन के 
नित्य ह्रदय में उत्सव महके 
मुख-द्वार पर सभी स्वरों के 
बारी-बारी अक्षर चहके। 
---------------------------
---------------------------------------
-------------------------------------------------
डमरू घनाक्षरी अर्थात बिना मात्रा वाला छंद 
३२ वर्ण लघु बिना मात्रा के ८,८,८,८ पर यति प्रत्येक चरण में 
लह कत दह कत, मनस पवन सम धक् धक्...
--------------------------------
माँ और सासू माँ में अंतर -एक लघु कथा  
-----------------------------------
घुइसरनाथ बाबा  
बीते 23 मई को प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश) 
के प्रसिद्ध मंदिर घुइसरनाथ धाम जाना हुआ। 

अब आज्ञा दीजिए!

No comments:

Post a Comment

केदार के मुहल्ले में स्थित केदारसभगार में केदार सम्मान

हमारी पीढ़ी में सबसे अधिक लम्बी कविताएँ सुधीर सक्सेना ने लिखीं - स्वप्निल श्रीवास्तव  सुधीर सक्सेना का गद्य-पद्य उनके अनुभव की व्यापकता को व्...