ज़िन्दगीनामा: डर: स्याह सी खामोशियों के इस मीलों लंबे सफ़र में तन्हाइयों के अलावा .. साथ देने को दूर-दूर तक कोई भी नज़र नहीं आता . जी में आता है कि क...
उच्चारण: "ओ बन्दर मामा" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'): कहाँ चले ओ बन्दर मामा , मामी जी को साथ लिए। इतने सुन्दर वस्त्र आपको , किसने हैं उपहार किये।। हमको ये आभास हो रहा , शा...
बाँटने थे हमेंसुख-दुःखअंतर्मन की को...: अज्ञानता बाँटने थे हमें सुख - दुःख अंतर्मन की कोमल भावनाएं शुभकामनाएं और अनंत प्रेम पर हम बँटवारा करने में लग ...
http://kavitavali.blogspot.com/2013/04/blog-post_14.html
http://yatra-1.blogspot.in/2013/04/blog-post_18.html
काव्य मंजूषा: नारीवाद एक आन्दोलन ...!
Anil Dayama 'Ekla': माँ
Voice of Silent Majority: हाथी
अन्तर्गगन: गर तू खुद को नींद से जगा दे !
स्याही के बूटे .....: धूप का पुर्ज़ा: छप्पर की दरारों से .... चुपचाप झांकता आया था नंगे पाँव फर्श पे बैठा उकडूं फिर थककर ... खाट पे उंघियाया था रेंगा था कुछ दूर तलक भी दी...
Sudhinama: चंद हाईकू
काव्य मंजूषा: तेरी याद, फिर तेरी याद के, बोझ तले दब जाती है .....
hum sab kabeer hain: झूठी तस्वीर: कैमरे की क्लिक दर्ज कर गई कि गाल का गोलौटा भरा हुआ था दांत चमकते दिख रहे थे आंख अधखुली ठिठोली कर रही थी यूं समझो चेहरे पर कई भाव नृत्...
तमाशा-ए-जिंदगी: मेरा बचपन
WORLD's WOMAN BLOGGERS ASSOCIATION: महिला सशक्तिकरण और मुख्यमंत्री जी -एक राजनैतिक लघु...: महिला सशक्तिकरण और मुख्यमंत्री जी -एक राजनैतिक लघु कथा एक राज्य के मुख्य मंत्री महोदय महिला उद्यमियों के कार्यक्रम में महिला -सशक्तिक...
आपकी प्रतिक्रिया की स्वागोत्सुक आदरणीय श्री बृजेश सर के साथ मैं वन्दना। सादर
उच्चारण: "ओ बन्दर मामा" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'): कहाँ चले ओ बन्दर मामा , मामी जी को साथ लिए। इतने सुन्दर वस्त्र आपको , किसने हैं उपहार किये।। हमको ये आभास हो रहा , शा...
बाँटने थे हमेंसुख-दुःखअंतर्मन की को...: अज्ञानता बाँटने थे हमें सुख - दुःख अंतर्मन की कोमल भावनाएं शुभकामनाएं और अनंत प्रेम पर हम बँटवारा करने में लग ...
http://kavitavali.blogspot.com/2013/04/blog-post_14.html
http://yatra-1.blogspot.in/2013/04/blog-post_18.html
काव्य मंजूषा: नारीवाद एक आन्दोलन ...!
Anil Dayama 'Ekla': माँ
Voice of Silent Majority: हाथी
अन्तर्गगन: गर तू खुद को नींद से जगा दे !
स्याही के बूटे .....: धूप का पुर्ज़ा: छप्पर की दरारों से .... चुपचाप झांकता आया था नंगे पाँव फर्श पे बैठा उकडूं फिर थककर ... खाट पे उंघियाया था रेंगा था कुछ दूर तलक भी दी...
Sudhinama: चंद हाईकू
काव्य मंजूषा: तेरी याद, फिर तेरी याद के, बोझ तले दब जाती है .....
hum sab kabeer hain: झूठी तस्वीर: कैमरे की क्लिक दर्ज कर गई कि गाल का गोलौटा भरा हुआ था दांत चमकते दिख रहे थे आंख अधखुली ठिठोली कर रही थी यूं समझो चेहरे पर कई भाव नृत्...
तमाशा-ए-जिंदगी: मेरा बचपन
WORLD's WOMAN BLOGGERS ASSOCIATION: महिला सशक्तिकरण और मुख्यमंत्री जी -एक राजनैतिक लघु...: महिला सशक्तिकरण और मुख्यमंत्री जी -एक राजनैतिक लघु कथा एक राज्य के मुख्य मंत्री महोदय महिला उद्यमियों के कार्यक्रम में महिला -सशक्तिक...
No comments:
Post a Comment