Thursday 21 February 2013

रात


        - उदय प्रकाश
इतने घुप्प अंधेरे में 
एक पीली पतंग
धीरे-धीरे
आकाश में चढ़ रही है.

किसी बच्चे की नींद में है
उसकी गड़ेरी

किसी माँ की लोरियों से
निकलती है डोर !

2 comments:

केदार के मुहल्ले में स्थित केदारसभगार में केदार सम्मान

हमारी पीढ़ी में सबसे अधिक लम्बी कविताएँ सुधीर सक्सेना ने लिखीं - स्वप्निल श्रीवास्तव  सुधीर सक्सेना का गद्य-पद्य उनके अनुभव की व्यापकता को व्...