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ISSN : 2349-7122

Saturday, 26 January 2013

आपकी याद आती रही रात भर


- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़



मख़दूम[1] की याद में-1

"आपकी याद आती रही रात-भर"
चाँदनी दिल दुखाती रही रात-भर

गाह जलती हुई, गाह बुझती हुई
शम--ग़म झिलमिलाती रही रात-भर

कोई ख़ुशबू बदलती रही पैरहन[2]
कोई तस्वीर गाती रही रात-भर

फिर सबा[3] सायः--शाख़े-गुल[4] के तले
कोई क़िस्सा सुनाती रही रात-भर

जो आया उसे कोई ज़ंजीरे-दर[5]
हर सदा पर बुलाती रही रात-भर

एक उमीद से दिल बहलता रहा
इक तमन्ना सताती रही रात-भर

मास्को, सितंबर, 1978
शब्दार्थ:
1.    उर्दू के मशहूर कवि, जिन्होंने तेलंगाना आंदोलन में हिस्सा लिया था। उनकी ग़ज़ल से प्रेरित होकर हीफ़ैज़ने यह ग़ज़ल लिखी है
2.    वस्त्र
3.    ठंडी हवा
4.    गुलाब की टहनी की छाया
5.    दरवाज़े कि साँकल


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