आन्ना अख़्मातवा
जन्म: 11 जून 1889
निधन: 5 मार्च 1966
उपनाम आन्ना
अख़्मातवा
जन्म स्थान ओडेसा,
उक्राइना।
मैं तुम्हारी जगह लेने आई हूँ, सखी!
तुम्हारी जगह लेने आई हूँ, सखी!
धधकते दावानल के बीच
-
मैं तुम्हारी जगह
लेने आई हूँ, सखी !
तुम्हारी आँखों की ज्योति मन्द पड़ गई है
आँसू भाप बन कर उड़ गए हैं बादल सरीखे
और बालों से झलकने लगा है उम्र का
भूरापन।
तुम समझ नहीं पा रही हो चिड़िया का
गाना
न तो सितारों की सरगोशियाँ
और न ही दामिनी की द्युति का दर्प।
जब कोई स्त्री बजा रही हो खंजड़ी
तो मत सुनो और कुछ
और मत डरो कि टूटेगा सन्नाटे का
साम्राज्य।
धधकते दावानल के बीच
-
मैं तुम्हारी जगह
लेने आई हूँ, सखी !
-
मुझे दफ़्न करने वालों
बताओ कहाँ है तुम्हारी कुदालें और
बेलचे ?
अरे ! तुम्हारे पास तो है फक़त एक
बाँसुरी
कोई गिला नहीं
कोई इल्जाम आयद नहीं
बहुत दिन हो गए मेरी वाणी को मूक हुए ।
आओ, मेरे वस्त्र धारण करो
मेरे डर का खामोशी से दो जवाब
बहने दो बयार जो तुम्हारे बालों को
सहलाती हो
बकायन की गंध का मजा लो
तुमने बहुत लम्बे पथरीले रास्ते तय किए
यहाँ तक पहुँचने की खातिर
और इस आग से उजाले का उत्खनन करने में।
दूसरे के लिए जगह त्यागकर
कोई है जो चला गया है आत्मनिर्वासित
भटकता - अटकता
अब तो जैसे कोई अंधी स्त्री निरख - परख
रही हो
अनचीन्हे - सँकरे रास्ते के मार्गदर्शक
चिन्ह।
और अब भी
उसके हाथों में थमी है खँजड़ी
जो लपटों की तरह लहराने को है बेताब
कभी वह हुआ करती थी श्वेत परचम की
मानिन्द
और वह अब भी है प्रकाश स्तम्भ से
प्रवाहित
उजाले की उर्जस्वित कतार।
धधकते दावानल के बीच
-
मैं तुम्हारी जगह
लेने आई हूँ , सखी !
जब कोई स्त्री बजा रही हो खंजड़ी
तो मत सुनो और कुछ
और मत डरो कि टूटेगा सन्नाटे का
साम्राज्य.
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह
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