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ISSN : 2349-7122

Sunday, 31 August 2014

यादें

दिन भर अपनी चमक से
कोना-कोना गरमाता
यह सूरज अब
धीरे-धीरे
अपनी गुफा की तरफ़ जाएगा
हौले से निकलता चाँद
फलक से
इस ढलती शाम पर

गहरा जाएगा
फिर से यादें तेरी
मुझे ले जाएँगी
ख़्वाबों के शहर में

और एक दिन का इन्तजार
फिर से एक उम्र में
ढल जाएगा !!
- ranju bhatia

अपनों का साथ और सरकार के संबल से संवरते वरिष्ठ नागरिक

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