6
नवम्बर, 2014
को 7
वें राष्ट्रीय पुस्तक मेला,
इलाहाबाद में प्रो. राजेन्द्र कुमार की अध्यक्षता में सामयिक प्रकाशन,
नई दिल्ली से प्रकाशित कथाकार महेन्द्र भीष्म के कहानी संग्रह ’
लाल डोरा और अन्य कहानियाँ’
का लोकार्पण व परिचर्चा संपन्न हुई। मुख्य वक्ता श्री प्रकाश मिश्र ने अपने वक्तव्य में कहा कि ‘
महेन्द्र भीष्म को मैंने उनकी कृतियों से जाना है। महेन्द्र भीष्म समाज के अछूते वर्ग को क्रेन्द्रित करते हुए अपनी रचनाएँ गढ़ते हैं।‘
मुख्य अतिथि डॉ. अनिल मिश्र के अनुसार कथाकार महेन्द्र भीष्म संवेदनशील कथाकार हैं. उनकी कहानियाँ पाठक को पढ़ने के लिए मजबूर करने का माद्दा रखती हैं। हेल्प यू ट्रस्ट के प्रमुख न्यासी श्री हर्ष अग्रवाल ने महेन्द्र भीष्म के उपन्यास ’
किन्नर कथा’
का जिक्र करते हुए कहा कि इस उपन्यास ने किन्नरों के प्रति लोगों का नजरिया बदल दिया। कथा संग्रह ’
लाल डोरा’
की कहानियाँ चमत्कृत करती हैं और मुंशी प्रेमचन्द की कहानियों की याद दिला जाती हैं। रेवान्त की संपादिका अनीता श्रीवास्तव ने ’
लाल डोरा’
में संग्रहीत कहानियों को केन्द्र में लेते हुए कहा कि ’
सामाजिक यथार्थवाद की बुनियाद पर टिकी महेन्द्र भीष्म की कहानियाँ जीवन के अनेक मोड़,
अनेक उतार-चढ़ाव के ग्राफ को दर्शाती हुई संवेदना को प्रगाढ़ करती हैं।’
प्रकृति के समीप होते हुए भी भीष्म की कहानियाँ भाषा और शिल्प की दृष्टि से कसी हुई हैं। महेन्द्र भीष्म ने अपनी रचनाधर्मिता पर बोलते हुए कहा कि लेखन मेरे लिए जहाँ सामाजिक प्रतिबद्धता है वहीं लिखना मेरे लिए ठीक वैसे ही है जैसे जिन्दा रहने के लिए साँस लेना। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. राजेन्द्र कुमार ने कहा कि कहानी की विषय-वस्तु के क्षेत्र में महेन्द्र भीष्म काफी समृद्धिशाली हैं। लेखक को बधाई देते हुए उन्होंने आगे कहा कि कथाकार महेन्द्र भीष्म से साहित्य जगत को बहुत उम्मीदें हैं। अच्छी बात यह है कि वे अनछुए विषयों को छू रहे हैं और अच्छा लिख रहे हैं।
कार्यक्रम का संचालन संजय पुरूषार्थी ने किया।
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