प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
बाल श्रम
कई प्रतिष्ठित समाजसेवी संगठनों में उच्च पदधारिका तथा सुविख्यात समाज
सेविका निवेदिता आज भी बाल श्रम पर कई जगह ज़ोरदार भाषण देकर घर लौटीं. कई-कई
कार्यक्रमों में भाग लेने के उपरान्त वह काफी थक चुकी थीं. पर्स और फाइल को मेज पर
फेंकते हुए निढाल सोफे पर पसर गईं. झबरे बालों वाला प्यारा सा पप्पी तपाक से उनकी गोद
में कूद गया.
"रमिया! पहले एक ग्लास पानी ला... फिर एक कप गर्म-गर्म
चाय......"
दस-बारह बरस की रमिया भागती हुई पानी लिए सामने चुपचाप खड़ी हो जाती है.
"ये बता री, आज पप्पी को टहलाया था?"
"माफ़ कर दो मेम साब, सारा दिन बर्तन माँजने,
घर की सफाई और कपडे धोने में निकल गया इसलिए
आज पप्पी को टहला नहीं पाई...."
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आइना
“नीलम,
जब से तुम इस घर में ब्याह के आई तभी से घर-बाहर,
टॉयलेट आदि की साफ-सफाई करती रही हो. अब ये सब
कैसे होगा डॉक्टर ने तुम्हें शारीरिक श्रम हेतु मना किया है। क्यों न इस कार्य
हेतु किसी को रख लिया जाए.”
नीलम ने सकुचाते हुए कहा, “मुझे कोई आपत्ति
नहीं पर आप तो महात्मा गाँधी के सच्चे अनुयायी हैं।“
behtareen laghukathayen
ReplyDeleteसादर आभार शब्द व्यंजना जी
ReplyDeleteबेहद सुन्दर ..सटीक
ReplyDeleteसमाज से सरोकार रखती रचनाएँ !
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