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ISSN : 2349-7122

Thursday, 28 February 2013

भूली-बिसरी यादें

दूरियाँ | भूली-बिसरी यादें

स्वप्न मेरे...........: माँ ... एक रूप

मेरी धरोहर: लौटकर कब आते हैं???????.........प्रीति सुराना: सपने हैं घरौंदे, जो उजड़ जाते हैं,.... मौसम हैं परिन्दे, जो उड़ जाते हैं,.... क्यूं बुलाते हो, खड़े होकर बहते हुए पानी में उसे...

hum sab kabeer hain: टूटा मन


भूली-बिसरी यादें : तकदीर के मारे:                          तूफां से डरकर लहरों के बीच  सकारे   कहाँ जाएँ,              इस जहाँ में भटककर तकदीर के मारे कहाँ जाएँ ।...

डॉ. हीरालाल प्रजापति: 43. ग़ज़ल : पूनम का चाँद...................

परिकल्पना: उत्थिष्ठ भारत

स्वप्न मेरे...........: वो एक लम्हा ...

फूल | भूली-बिसरी यादें

4 comments:

  1. शुक्रिया इस विशेष स्वर के लिए

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  2. बहुत आभार मेरी रचा को पसंद करने ओर उसे यहाँ स्थान देने के लिए ...

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अपनों का साथ और सरकार के संबल से संवरते वरिष्ठ नागरिक

  विवेक रंजन श्रीवास्तव -विभूति फीचर्स             एक अक्टूबर को पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के रूप में मनाती है। यह परंपरा सन् 1...