Tuesday 27 January 2015

लघुकथा- मिलन वार्ता

2015 और 2014 के उस एक क्षण के मिलन में 2015 ने 2014 से पूछा, "बड़े भाईआपका आशीर्वाद देंसाथ ही अपना अनुभव भी बताएँमुझे 365 दिनों का श्वास मिला हैये दिन कैसे काटूँ ताकि जीवन शांत और अर्थपूर्ण रहे|"

2015 ने कहा, "कोशिश करो कि प्रकृति और मानव के बीच एक सेतु बनो ताकि दोनों एक दूसरे से लाभान्वित होंउन सारे तत्वों को संभाल कर रखो जो कि मानव-जीवन के लिए उपयोगी हैंमानव की और अधिक चिंता मत करोउन्हें तुम्हारे 365 दिनों की उम्मीद देने वाले बहुत से हैंमानव एक दिन लड़ेगा और दूसरे दिन शांति की बात करेगाउसके लिए प्रकृति की सुरक्षा से अधिक आवश्यक है स्वयं का भोगउसके लिये ईश्वरीय शांति पाने से ज़रूरी है अपनी भड़ास निकालना और सत्कर्मों से अधिक आवश्यक है- मीठी-मीठी बातें करनाये सभी के सभी तुम्हारे दिनों का हवाला देकर होंगे|

लेकिनएक आवश्यक सच सदैव याद रखना कि तुम्हारे अंतिम दिवस पर कोई रोयेगा नहींकोई यह नहीं कहेगा कि तुमने  365 दिनों तक मानव का साथ दियाप्रत्येक व्यक्ति 2016 के स्वागत में ही खुशियाँ मनायेगायह तो मानव का कर्म हैपर तुम इस छोटी सी बात के लिए अपने धर्म से विमुख मत होना|"
                                               - चंद्रेश कुमार छतलानी 

केदार के मुहल्ले में स्थित केदारसभगार में केदार सम्मान

हमारी पीढ़ी में सबसे अधिक लम्बी कविताएँ सुधीर सक्सेना ने लिखीं - स्वप्निल श्रीवास्तव  सुधीर सक्सेना का गद्य-पद्य उनके अनुभव की व्यापकता को व्...