विश्व पुस्तक मेले में दिनांक 22 फरवरी, 2015 को हिन्दी अकादमी,
दिल्ली के प्रकाशन सौजन्य से मंजुली प्रकाशन द्वारा सद्यय प्रकाशित सुश्री संगीता
शर्मा ‘अधिकारी’ के प्रथम कविता संग्रह “अपनी-अपनी हिस्सेदारी“ का लोकार्पण कार्यक्रम प्रात: 11 बजे, लिखावट, कविता और विचार के मंच की
ओर से हॉल न0 8, साहित्य मंच पर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री मिथिलेश श्रीवास्तव
ने की। आमंत्रित वक्ता श्री लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, श्री अमर नाथ अमर, सुश्री अलका
सिन्हा, सुश्री पुष्पा सिंह विसेन और श्री मनोज कुमार सिंह थे। सभी वक्ताओं ने वर्तमान
कविता में विशेष रूप से पाए जाने वाले प्रेम, स्त्री-विमर्श, घर-परिवार, रिश्ते-नाते
और समाज-राजनीति से लेकर वैश्विक सरोकारों के बीच उनकी कविताओं को व्याख्यायित किया
तथा नवोदित कवियों में एक अलग तरह के मुहावरे के बीच अपनी पहचान बनाती हुई कविताएँ
बताया। साथ ही उन्होंने ‘संभावनाओं की जमीन तलाशती कविताओं’ के लिए युवा कवयित्री सुश्री
संगीता शर्मा ‘अधिकारी’ को उनके प्रथम सृजनात्मक प्रयास की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ दीं। कार्यक्रम
का बेहतरीन संचालन श्री अरविंद पथिक ने किया। अंत में लिखावट की संयोजिका श्रीमती अनीता
श्रीवास्तव ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया।
Monday 23 February 2015
Sunday 1 February 2015
कुछ अपनी बात
धरोहर! नामचीन साहित्यकारों की रचनाओं
के संकलन की एक नयी श्रंखला इस अंक के साथ हम शुरू करने जा रहे हैं. इस श्रंखला का
नाम होगा- ‘धरोहर’. इसके तहत साहित्य
की अलग-अलग विधाओं पर केन्द्रित ऐसे अंक हम समय-समय पर आपके समक्ष प्रस्तुत करेंगे
जिनमें नामचीन साहित्यकारों की प्रसिद्द रचनाओं का संकलन होगा. यूँ तो हर अंक में हम ‘नाद अनहद’ नाम से विश्व के
प्रसिद्द साहित्यकारों की रचनाओं का प्रकाशन करते रहे हैं लेकिन शायद उतना
पर्याप्त नहीं. विश्व साहित्य इतनी कालजयी रचनाओं से भरा पड़ा है कि उन्हें कुछ पन्नों
के सहारे समेट पाना असंभव है, इसलिए इस अंक के साथ हम विशेषांकों की इस नयी
श्रंखला को शुरुआत कर रहे हैं जिसमें विधा विशेष की प्रसिद्द रचनाओं को अपने
पाठकों के लिए उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा.
यह पहला अंक कहानी विधा पर केन्द्रित है
और एक प्रयोग के तौर पर केवल ६ कहानियों को सम्मिलित करते हुए इस अंक को आपके
समक्ष प्रस्तुत किया गया है. इस अंक पर आपके सुझावों की हमें प्रतीक्षा रहेगी.
आपके मार्गदर्शन की सहायता से हम आगामी विशेषांकों को और बेहतर बनाने का प्रयास
करेंगे.
- बृजेश
नीरज
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